कर्म योग : निष्काम कर्म की ओर एक परिचय

Yogi Anurag
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कर्म योग एक प्रमुख योग की प्रकृति है जो भारतीय दर्शन और योग के भूमिकांतर पर आधारित है। यह योग का एक महत्वपूर्ण अंग है और यह मनुष्य को अपने कर्मों में आसक्ति के बिना कर्तव्यों का पालन करने का सिखाता है। कर्म योग व्यक्ति को स्वाधीनता, समरसता और आत्मा के उद्धार की ओर प्रेरित करने का पथ दिखाता है।

शब्द "कर्म" संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता है "क्रिया" या "कार्य"। कर्म योग में, कर्म को एक प्रायोजक की नियति के बिना किया जाता है और उसकी फलाश्रयी आसक्ति को छोड़कर सामर्थ्य के साथ किया जाता है। यह योगी को आत्मा के मुक्ति और सुख की प्राप्ति के लिए एक मार्ग प्रदान करता है। कर्म योग की नींव भगवद्गीता में रखी गई है, जहां भगवान कृष्ण ने अर्जुन को योग के विभिन्न रूपों के बारे में शिक्षा दी। भगवान कृष्ण ने कहा है कि कर्म योग में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मनुष्य को कर्म करने का अधिकार है, लेकिन फल के लिए उसका अधिकार नहीं। योगी को केवल अपने कर्तव्यों का पालन करने का ध्यान करना चाहिए और उसे कर्म के फल में आसक्त नहीं होना चाहिए।

कर्म योग में, कर्म शुद्धता का माध्यम बनता है और आत्मा के संयम और उन्नति का साधन बनता है। यह योगी को समरसता और समत्व के आदर्शों के साथ कर्म करने की शिक्षा देता है। कर्म योगी अपने कर्मों को अवचेतनता के साथ करता है, इसका अर्थ है कि वह कर्मों के फलों की चिंता या आसक्ति के बिना कर्म करता है। कर्म योग अपने कार्यों के माध्यम से आध्यात्मिक और मनोवैज्ञानिक विकास को प्रोत्साहित करता है। इसके माध्यम से योगी आत्मसंयम, ध्यान और सेवा की शक्ति में विकसित होता है। वह समस्त मानवता की सेवा करता है और समरसता, सामंजस्य और प्रेम की भावना को अपनाता है। कर्म योग वास्तव में एक आदर्श जीवनशैली है जो हमें आत्मिक और नैतिक मार्गदर्शन प्रदान करती है। यह हमें सामर्थ्य देता है कि हम अपने जीवन के हर क्षेत्र में ईमानदार, उच्च मानवीय और न्यायपूर्ण हो सकें। कर्म योग द्वारा हम अपनी अन्तरात्मा के साथ एकीकरण होते हैं और जगत् के साथ एकात्म होते हैं।

इस प्रकार, कर्म योग उच्चतम आदर्शों, नैतिकता और आत्मा के उद्धार के मार्ग का प्रतिनिधित्व करता है। यह हमें अपने कर्मों को समर्पित करने, स्वाधीनता के साथ नियमों का पालन करने, सेवा करने और समस्त जीवों की समरसता में रहने की प्रेरणा देता है। कर्म योग हमें एक सुखी, सत्य, उदार, और संतुष्ट जीवन की ओर ले जाता है और हमें संसार के मोह में पड़ने से बचाता है।

 

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